जंगली जानवरों और आवारा-नाकारा पशुओं की समस्या को लेकर विभिन्न किसान संगठनों का संसद मार्च।

जंगली जानवरों और आवारा-नाकारा पशुओं की समस्या को लेकर विभिन्न किसा संगठनों का संसद मार्च।

• वन्य जीवों के हमलों से मानव जीवन, संपत्ति व आजीविका की सुरक्षा की मांग
• जंगली जानवरों के हमलों में मारे जाने वाले लोगों के परिवारों को 1 करोड़ रुपये का मुआवज़ा दे सरकार

जंगली जानवरों से होने वाली समस्या से निजात दिलाने की मांग को लेकर अखिल भारतीय किसान सभा और अखिल भारतीय कृषि मज़दूर युनियन ने संसद मार्च का आयोजन किया। किसान संगठनों ने समस्या के लिए सरकार की नीतियों को दोषी ठहराते हुए आरोप लगाया कि सरकार की गलत वनीकरण नीतियों की वजह से यूकेलिल्पिट्स बबूल, सागवान, महोगनी, चीड़, अफ्रीकी ट्युलिप जैसी किस्मों को बढ़ावा देने से समस्या और विकट हुई है। इन प्रजातियों की वजह से भूजल में गिरावट आई है। वन विभाग की इस आपराधिक लापरवाही की वजह से भोजन व पानी की तलाश में वन्य जीवों के वनों से बाहर आने के लिए मजबूर किया है।

हिमाचल की ओर से हिमाचल किसान सभा के राज्याध्यक्ष डॉ. कुलदीप सिंह तँवर ने अपने अनुभव सांझा करते हुए कहा कि हिमाचल के किसानों ने जंगली जानवरों से निजात के लिए 10 साल तक लगातार संघर्ष किया और बन्दरों को वर्मिन घोषित करवाया। लेकिन अभी भी सरकार उत्पाती जंगली जानवरों की सांइटिफिक कलिंग करने के लिए तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि इस समय आवारा-नाकारा पशु भी प्रदेश के लिए एक बड़ी समस्या बनते जा रहे हैं। ये पशु न केवल किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं बल्कि सड़कों पर भटकते हुए सड़क दुर्घटना के कारण भी बन बन रहे हैं।

किसान संगठनों ने जंगली जानवरों से लोगों की सुरक्षा की मांग की और जंगली जानवरों द्वारा मारे गए लोगों को एक करोड़ रुपये देने और गंभीर रूप से घायलों को 50 लाख रुपये मुआवज़ा देने की भी मांग की।

अखिल भारतीय किसान सभा (एआइकेएस) व अखिल भारतीय खेत मज़दूर यूनियन (एआइएडब्ल्यू) केन्द्र सरकार को 10 सूत्रीय मांगपत्र देकर इसे शीघ्र पूरा करने की मांग की।

  1. वन्य जीवों के हमलों से मानव जीवन, संपत्ति व आजीविका की सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए भारतीय वन अधिनियम 1927, वन्यजीव सुरक्षा अधिनियम 1972, वन संरक्षण अधिनियम 1980 में संशोधन करो। जीवन व आजीविका की सुरक्षा के लिए अलग से कानून बनाओ।
  2. यह सुनिश्चित किया जाये कि राज्य सरकारों को जंगली जानवरों की मुसीबत को नियन्त्रित करने के लिए हिंसक पशु घोषित करने, बंध्यकरण व अन्य तरीकों समेत उन्हें वैज्ञानिक रूप से समाप्त करने, हटाने के अधिकार की गारन्टी हो।
  3. मनमाने तरीके से हाथियों के गलियारे, टाईगर रिज़र्ब्स, वन्यजीव अभ्यारण्य बनाने व बेदखली पर रोक लगाओ।
  4. वनाधिकारों व सामुदायिक वनाधिकारों को सुनिश्चित करो, एफआरए व पेसा के उल्लंघन पर रोक लगाओ।
  5. पशु व्यापार पर प्रतिबंध हटाओ: अनुत्पादक पशुओं की बाज़ार भाव पर खरीद करो। गौरक्षा समूहों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही सुनिश्चित करो।
  6. जंगली जानवरों के हमलों में मारे जाने वाले लोगों के परिवारों को 1 करोड़ रुपये का मुआवज़ा व सरकारी रोज़गार तथा गंभीर रूप से घायल को 50 लाख रुपये मुआवज़ा सुनिश्चित करो।
  7. जंगली जानवरों द्वारा बर्बाद की जाने वाली फसलों का पंचायतों व ग्राम सभाओं को शामिल कर समुचित आकलन कर उचित मुआवज़ा दिया जाये।
  8. बनावटी टिम्बर पेड़ों व घुसपैठिया प्रजाति के पेड़ों को चरणबद्ध ढंग से हटाओ फलदार वृक्षों, बांस को बढ़ावा दो।
  9. हॉट-बेड्स में खाइयां बनाओ, तारों की बाड़ लगाओ, इलेक्ट्रिक फेंसिंग करो और पूर्व चेतावनी तंत्र स्थापित करो।
  10. संध्या से सुर्योदय तक मनरेगा के तहत 1000 रुपये प्रतिदिन की दर से सामुदायिक पहरेदारी का बंदोबस्त करो।
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