
जिला कल्याण अधिकारी का चिट्टा तस्करी में शामिल होना चिन्ताजनक : हिमाचल ज्ञान विज्ञान समिति
हिमाचल ज्ञान विज्ञान समिति ने उठाई गहन जांच व ठोस एक्शन की मांग
चिट्टा तस्करी में तहसील कल्याण अधिकार का शामिल होना गंभीर चिंता का विषय है। इसकी गहन जांच होनी चाहिए। प्रदेश में इस तरह की घटनाओं ने आम आदमी की चिंता बढ़ा दी है। हिमाचल ज्ञान विज्ञान समिति के राज्याध्यक्ष और राज्य सचिव सत्यवान पुण्डीर ने प्रैस को जारी संयुक्त ब्यान में कहा है कि अधिकारीयों, डॉक्टरों, पुलिस आदि की नशे की तस्करी में संलिप्तता के चलते जब बाढ़ ही खेत को खाने लगे तो यह समाज के लिए घातक है। उन्होंने कहा कि जिन संस्थाओं और लोगों पर समाज को नशे से बचाने की ज़िम्मेदारी है उसी विभाग के अधिकारी अगर नशा तस्करी में लिप्त हो जाएं तो सरकार और प्रशासन को इसें गंभीरता से लेना चाहिए। समिति ने इस मुद्दे पर गहनता से छाानबीन करने की मांग की है। सचिव सत्यवान ने कहा कि जो सामाजिक संस्थाएं और पंचायतें नशा रोकने के लिए आगे आ रही हैं वे ऐसी घटनाओं से हतोत्साहित होंगी।
समिति ने पुलिस प्रशासन की सराहना करते हुए कहा कि जिला और प्रदेश की पुलिस नशे के खिलाफ ज़ोरदार तरीके से प्रहार कर रही है और नशा तस्करों के गिरोहों का पर्दाफाश कर रही है। पुण्डीर ने कहा कि सरकार को निजी स्तर पर खोले गए नशामुक्ति केन्द्रों पर भी कड़ी निगरानी रखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि समिति की हमेशा यह मांग रही है कि नशामुक्ति केन्द्र और पुनर्वास केन्द्रों को सरकारी तौर पर बनाना और चलाना चाहिए। उन्होंने कहा कि खेद की बात है कि विभाग ठोस कार्ययोजना के अभाव में नशामुक्ति के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने के लिए मिली केन्द्रीय राशि को भी खर्च नहीं कर पा रही है। ऐसे गंभीर मु्द्दे पर भी अगर प्रदेश से केन्द्र का पैसा बिना खर्च किए वापिस जा रहा है तो इससे गंभीर बात क्या होगी।
राज्य सचिव ने कहा कि ज्ञान विज्ञान समिति ने नशे के खिलाफ अभियान को मिशन मोड में चलाने का सुझाव दिया था और कहा था कि मुख्यमंत्री कार्यालय से इसकी निगरानी हो। वहां एक ऐसा सेल बनें जो हर दिन नशे के खिलाफ होने वाली कार्यवाही को देखे और हस्तक्षेप के लिए सुझाव दे। साथ ही शिक्षण संस्थाओं के माध्यम से किशोरावस्था के बदलावों पर जागरूकता एवं पेरेंट्स का जिम्मेदारपूर्ण रवेया तथा मां की केंद्रीय भूमिका के तौर पर योजनाबद्ध तरीके से कार्य करने की जरूरत है। एडिक्ट अपराधियों से जेलों में भी अन्य अपराधियों से अलग व्यवहार, डिटोक्सीफाई व दिडिक्ट करने तथा कोनसीलिंग करने का प्रावधान हो।
लेकिन सरकार की ओर से अभी तक इन सुझावों को लेकर कोई ठोस कार्ययोजना देखने को नहीं मिल रही। पुण्डीर ने कहा कि समिति आने वाले 7 अप्रैल को विभिन्न संस्थओं और शासन एवं प्रशासन के प्रतिनिधियों का एक बड़ा अधिवेशन आयोजित करने जा रही है और नशे के खिलाफ एक संयुक्त अभियान मंच का गठन करेगी।